Rent Agreement Registration: अब किराएदारी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। पहले लोग 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर साधारण किराया समझौता बनाकर काम चला लेते थे, लेकिन अब यह तरीका पूरी तरह बदल गया है। सरकार ने 2025 से रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब केवल वही किराया समझौता कानूनी रूप से मान्य होगा जो उचित प्रक्रिया के तहत रजिस्टर कराया गया हो। यह नियम मकान मालिक और किरायेदार दोनों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है ताकि भविष्य में होने वाले विवादों से बचा जा सके।
रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता और नियम
नए कानून के अनुसार यदि आप किसी को ग्यारह महीने से अधिक समय के लिए मकान किराए पर दे रहे हैं तो रजिस्ट्रेशन कराना बिल्कुल जरूरी है। कई राज्यों में तो एक साल से कम अवधि के समझौतों के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश और दिल्ली में ग्यारह महीने से अधिक की अवधि के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है, जबकि राजस्थान में एक साल से कम की अवधि के लिए भी यह आवश्यक है। महाराष्ट्र में तो सभी प्रकार के किराया समझौतों का रजिस्ट्रेशन कराना होता है।
ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
यदि आप पारंपरिक तरीके से रजिस्ट्रेशन कराना चाहते हैं तो आपको और किरायेदार को मिलकर सब-रजिस्ट्रार कार्यालय जाना होगा। वहां आपको सभी आवश्यक दस्तावेज लेकर जाने होंगे जिनमें आधार कार्ड, पहचान पत्र, संपत्ति संबंधी कागजात, बिजली का बिल, टैक्स की रसीद और गवाहों की जानकारी शामिल है। इसके अलावा पासपोर्ट साइज फोटो और यदि हाउसिंग सोसाइटी में मकान है तो एनओसी भी चाहिए होगी। स्टाम्प शुल्क जमा करने के बाद आपका समझौता औपचारिक रूप से रजिस्टर हो जाएगा।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की आसान सुविधा
आधुनिक युग में सरकार ने ऑनलाइन सुविधा भी उपलब्ध कराई है जो बहुत ही सुविधाजनक है। इसके लिए आपको अपने राज्य की ई-रजिस्ट्रेशन वेबसाइट पर जाकर एक प्रोफाइल बनानी होगी। फिर सभी संपत्ति विवरण भरकर ऑनलाइन स्टाम्प शुल्क का भुगतान करना होगा। ई-स्टाम्प पेपर पर समझौता तैयार करके डिजिटल हस्ताक्षर के साथ इसे डाउनलोड किया जा सकता है। यह पूरी प्रक्रिया घर बैठे कुछ ही घंटों में पूरी हो जाती है।
कानूनी सुरक्षा और महत्वपूर्ण फायदे
रजिस्टर्ड एग्रीमेंट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह दोनों पक्षों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। यदि कभी कोई विवाद उत्पन्न होता है तो अदालत में केवल लिखित और रजिस्टर्ड समझौते की शर्तों को ही मान्यता दी जाएगी। मौखिक बातचीत का कोई महत्व नहीं रहेगा। इससे किरायेदार को अनुचित बेदखली से बचाव मिलता है और मकान मालिक को भी अपने अधिकारों की पूर्ण सुरक्षा मिलती है। विशेष रूप से महिला मकान मालिकों को स्टाम्प शुल्क में एक प्रतिशत की छूट भी मिलती है।
स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस
रजिस्ट्रेशन की लागत संपत्ति के मूल्य और समझौते की अवधि पर निर्भर करती है। सामान्यतः ग्यारह महीने तक की अवधि के लिए पांच सौ रुपए से शुरू होकर एक साल से अधिक की अवधि के लिए बीस हजार रुपए तक हो सकती है। रजिस्ट्रेशन फीस आमतौर पर एक हजार से पांच हजार रुपए के बीच होती है। यह राशि राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
भविष्य की सुरक्षा के लिए सुझाव
इस नए कानून का पालन करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है। हमेशा रजिस्टर्ड समझौता ही बनवाएं और मौखिक समझौतों से बचें। सभी शर्तें स्पष्ट रूप से लिखित में रखें और समय पर स्टाम्प शुल्क का भुगतान करें। ऑनलाइन प्रक्रिया का फायदा उठाएं क्योंकि यह तेज और सुविधाजनक है। महिलाओं को मिलने वाली छूट का लाभ जरूर उठाना चाहिए।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। विभिन्न राज्यों में रजिस्ट्रेशन के नियम अलग हो सकते हैं। कृपया अपने राज्य के नियमों की जांच करें और आवश्यकता पड़ने पर कानूनी सलाह अवश्य लें।